Jeevan Utsah News

शिक्षा, नवाचार और पर्यावरण के नायक: सोनम वांगचुक

सोनम वांगचुक एक दूरदर्शी इंजीनियर, शिक्षा सुधारक और पर्यावरणविद् जिन्होंने अपने असाधारण कार्यों से देश और दुनिया को प्रेरित किया है। उन्हें न जाने कितने सम्मान आज तक मिले हैं परंतु आज उन्हें एक और सम्मान के रूप में देशद्रोही का भी सम्मान मिलने जा रहा है।
आई उनकी कुछ उपलब्धियां के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं।


सिनेमाई प्रेरणा: ‘3 इडियट्स’
उनकी प्रेरणादायक कहानी ने हिंदी सिनेमा को भी प्रभावित किया। 2009 की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘3 इडियट्स’ में अभिनेता आमिर ख़ान द्वारा निभाया गया किरदार ‘फुंसुक वांगडू’ (Ranchoddas ‘Rancho’ Shyamaldas Chanchad) आंशिक रूप से उन्हीं पर आधारित था। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर करीब ₹1000 करोड़ की कमाई करके एक बड़ी व्यावसायिक सफलता बनी और उनके इनोवेटिव विचारों को व्यापक रूप से पहचान मिली।
शिक्षा और सामाजिक योगदान
वांगचुक ने लद्दाख में शिक्षा प्रणाली में क्रन्तिकारी बदलाव लाए। उनके सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक योगदानों में से एक है स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना, जिसने शिक्षा को किताबी ज्ञान से परे, वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने पर केंद्रित किया।
अभिनव पर्यावरण कार्य
उन्हें विशेष रूप से उनके पर्यावरण-अनुकूल नवाचारों के लिए जाना जाता है, जिनमें ‘आइस स्तूप’ (Ice Stupa) कृत्रिम ग्लेशियर तकनीक शामिल है। यह तकनीक सर्दियों में पिघलने वाले पानी को विशाल शंकु के आकार की बर्फ की संरचनाओं में जमा करती है, जो वसंत में फसल बोने के समय लद्दाख के शुष्क क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने में मदद करती है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
उनके असाधारण कार्यों के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जो इस प्रकार हैं।
रमन मेग्सेसे अवॉर्ड (2018)
ग्लोबल अवार्ड फॉर सस्टेनेबल आर्कीटेक्चर (2017)
रोलेक्स अवार्ड फॉर एंटरप्राइज (2016)
रियल हीरोज़ अवार्ड (2008)
अशोक फेलोशिप फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप (2002)
हालिया घटनाक्रम
लद्दाख के पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों को बचाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन के कारण, उन्हें हाल ही में चर्चा का केंद्र बनाया गया। दुर्भाग्यवश, इस सक्रियता के चलते उन पर देशद्रोह (sedition) का चार्ज लगाकर हिरासत में लिया गया। उन पर पाकिस्तान से संबंध होने के भी अब आरोप लगने लगे हैं। सच्चाई क्या है यह तो कोई नहीं जानता है किंतु इस सारे प्रकरण को देखकर यह समझ में आता है कि व्यक्ति का वक्त ही खराब होता है और वक्त ही सही होता है।

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *